रब गुण गाय रे तू मना
काहे भटकत फिरे निसदिना
छीनभंगुर सब जगतमे सारा
मायाजाल फिरता कल्पना
- राग देस, तीनताल
काहे भटकत फिरे निसदिना
छीनभंगुर सब जगतमे सारा
मायाजाल फिरता कल्पना
- राग देस, तीनताल
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