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Saturday, February 5, 2011

रब गुण गाय रे तू मना

रब गुण गाय रे तू मना
काहे भटकत फिरे निसदिना
छीनभंगुर सब जगतमे सारा
मायाजाल फिरता कल्पना
- राग देस, तीनताल

Tuesday, September 7, 2010

रसिकनी राधा पलना झूले

रसिकनी राधा पलना झूले
देख देख गोपीजन बोले
रतन जटित को पलना सोहे
निरख निरख जन नी मन बोले

- मधमाद सारंग

रंग दे रंगरेजवा

रंग दे रंगरेजवा
जैसे मोरी पिया की पगरिया
रंग दे मोरी सुरख चुनरिया
जैसे मोरी पिया की पगरिया

- राग मधमाद सारंग

Thursday, February 25, 2010

कोयलिया बोले अम्बुवा

कोयलिया बोले अम्बुवा डाल पर
रुतु बसंत की देता संदेसवा

नया कलियन पर गुंजत भंवरा
उन्हीके संग करत रंग रलिया
वही बसंत की देता संदेसवा

- राग मालकंस, तीनताल 

मालकंस तराणा, , द्रुत तीनताल

तोम तनन तन देरेना तदारे दानि
तादानी नादिर दानि न देरेना

यार मोयलिया लाय लाल रे
तन देरे ना दाना देरेना तदानी
धा तिरकिट धुम तिरकिट धित्ता
क्रान्धा क्रान्धा क्रान

- मालकंस

मालकंस भजन

दिन नीके बीते जाते है
सुमिरण कर श्री रामनाम 
तज विषय भोग सब और काम
तेरे संग चले नाही एक धाम
जो देते है वो पाते है
दिन नीके बीते जाते है

जो तू लागे विषय विलासा
मूरख फसे मोह की पाशा
क्या देखे स्वसन की आशा
गए फिर नाही आते है
दिन नीके बीते जाते है

लग चौरासी भरम के आया
बड़े भाग मनुषतन पाया
तापरबी कछु नाही कमाया
फिर पाछे पछताते है
दिन नीके बीते जाते है

- राग मालकंस, तीनताल

Thursday, December 24, 2009

धर्म मानी

धर्म मानी वीरा मानी
त्याग मानी राम चन्द्र

विपुल मानी तेज और
रसिक मानी नर हरे
- राग मालकौंस