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Thursday, February 25, 2010

मालकंस भजन

दिन नीके बीते जाते है
सुमिरण कर श्री रामनाम 
तज विषय भोग सब और काम
तेरे संग चले नाही एक धाम
जो देते है वो पाते है
दिन नीके बीते जाते है

जो तू लागे विषय विलासा
मूरख फसे मोह की पाशा
क्या देखे स्वसन की आशा
गए फिर नाही आते है
दिन नीके बीते जाते है

लग चौरासी भरम के आया
बड़े भाग मनुषतन पाया
तापरबी कछु नाही कमाया
फिर पाछे पछताते है
दिन नीके बीते जाते है

- राग मालकंस, तीनताल

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