दिन नीके बीते जाते है
सुमिरण कर श्री रामनाम
तज विषय भोग सब और काम
तेरे संग चले नाही एक धाम
जो देते है वो पाते है
दिन नीके बीते जाते है
जो तू लागे विषय विलासा
मूरख फसे मोह की पाशा
क्या देखे स्वसन की आशा
गए फिर नाही आते है
दिन नीके बीते जाते है
लग चौरासी भरम के आया
बड़े भाग मनुषतन पाया
तापरबी कछु नाही कमाया
फिर पाछे पछताते है
दिन नीके बीते जाते है
- राग मालकंस, तीनताल
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