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Tuesday, December 1, 2009

डार डार पागन पर

डार डार पागन पर
कोयलिया बोले

रुतु बसंत में उमगे
नए रुतु नए फूल
फूल बनके डार देखो
सुध-बुध बिसराई

- राग हंसध्वनी, एकताल

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